जब प्यार किसी से होता है...

"इश्क़ का नशा पहली बार, जब हम पर असर कर जाती है। 
एक अजीब सी बेचैनी हमारे दिल में तब समा जाती है।। 

हमारी आँखें बेसब्र से उस शख़्स का इंतज़ार करती हैं,
जिसकी आग़ोश में खोने को हमारी ये बाहें तरसती हैं। 
हमारे दिल का पहली बार उस से दीदार हो जाता  है,
दिल ही दिल में जाने कब उस शख़्स से प्यार हो जाता है।। 

जब प्यार का ये आलम,
हमारे दिल में एक बसेरा कर जाता है। 
हमारे चेहरे की शर्म-ओ-हया भी तब, 
हमारी बहके हुए जज़्बातों को पर्दा नहीं कर पता है।। 
और तब हमें कोई सजने-सँवरने की ज़रूरत नहीं होती है,
क्योंकि - 
दीदार-ए-बेसब्र में, एक झलक अपने प्यार का पाकर,
एक खिलते क़मल के मानिंद,
एक अजीब सी चमक हमारे चेहरे पर निखार आता है।। 

दिल बार-बार उस प्यार से दो बात करने की ज़िद करता है,
हसीन एक पल की, एक मुलाक़ात की ज़िद करता है। 
दस्तूर-ए-खुदा से आख़िर, वो लम्हा बख़्शिश में जब मिलता है 
फिर पहली मुलाक़ात का आलम कुछ इस क़दर सा होता है।। 

कि प्यार-इश्क़-मोहब्बत की जज़्बातों में,
उल्फत-ए-आशिक़ाना लम्हात की रातों में। 
वक़्त कैसे गुज़रता है पता ही नहीं चलता,
दो लफ्ज़ चाहत की मीठी-मीठी बातों में।। 

फ़िर करने को बात तो कोई नहीं करता,
न हम कुछ कहते, न वो भी कुछ कहता। 
पर बातों का सिलसिला जब शुरू होता है,
वक़्त को याद करना, तब वक़्त नहीं रहता।। 

यूं घड़ी-घड़ी ज़िन्दगी जब इम्तेहान लेती है। 
सिर्फ-ओ-सिर्फ एक ही फ़रमाईश रहती है।। 
कि ऐ ख़ुदा ! इस वक़्त का आलम कुछ ऐसा हो जाये। 
वक़्त भी खुद हमारे दरमियां कोई दस्तक न दे पाए।। 

दोस्तों !
हमारा ये मासूम सा दिल बहुत नादान होता है। 
ये नादानी में किसी से प्यार तो कर लेता है,
पर इसके फ़लसफ़े से वाक़िफ़ नहीं रहता है।। 

क्योंकि ये प्यार-व्यार तो हाथो की
उन चूड़ियों के मानिंद रिझाती हैं। 
जो चमकती हैं और खनकती हैं 
फ़िर खनक कर टूट जाती हैं।।

खनक कर टूट जाने से
फ़िर ये दिल बहुत रोता है। 
ज़िंदगी में हमें कभी भी 
जब प्यार किसी से होता है...।।