ज़िन्दगी की हर ख़ुशी मुझे अब फ़ीकी लगती है।
माँ तेरे बिन ये ज़िन्दगी; ज़िन्दगी नहीं लगती है।।
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तेरे बाद ऐसा कोई नहीं, जिसे अब माँ कह सकूँ,
मख़मली गोद में सर रख, आँचल का सेहरा ले सकूँ।
प्यार ये जितना मिलना था, सो तुझसे ही माँ मिल गया,
जितना खिलना था मुरझाया हुआ मेरा जहाँ खिल गया।
बिन आंसू ये आंखें मेरी सदा ही भीगी रहती हैं।
माँ तेरे बिन ये ज़िन्दगी; ज़िन्दगी नहीं लगती है।।
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जब तू थी इस दुनिया में, तो साथ न तेरे रह सका;
दोहरी ज़िन्दगी की उलझन में, तेरा हक़ ने दे सका।
अरमान बहुत थे मेरे दिल में, सबको लेकर चल सकू,
सबकी खुशियां पूरी कर फिर, चैन की आग में जल सकू।।
जो तेरा बुलावा पहले आया, ये बात जलन सी लगती है।
माँ तेरे बिन ये ज़िन्दगी; ज़िन्दगी नहीं लगती है।।
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तेरे आख़िरी वक़्त में जैसे, तू कुछ कहना चाहती थी,
साँसों को अपनी दाव लगाए, जैसे तू जीना चाहती थी।
काश ! में तेरे सारे दर्द, अपनी दुआओं में ले सकता,
और बची-कुचि मेरी ज़िन्दगी, तुझे दवाओं में दे सकता।।
आज मेरे हर साये में माँ ! तेरी मौजूदगी सी लगती है।
माँ तेरे बिन ये ज़िन्दगी; ज़िन्दगी नहीं लगती है।।
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